मध्यप्रदेश की ‘लाड़ली बहना योजना’ बनी महिलाओं का भरोसेमंद सहारा

महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण योजना’ राज्य की महिलाओं के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर आई थी। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को हर महीने ₹1500 की आर्थिक सहायता देना है, ताकि वे खुद को आत्मनिर्भर बना सकें और घरेलू खर्चों में सहयोग कर सकें। योजना की राशि सीधे लाभार्थी महिलाओं के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।

लेकिन हाल ही में जब 25वीं किस्त की राशि महिलाओं के खातों में आई, तो कई जगहों से यह शिकायत मिली कि सरकार ने ₹1500 की बजाय केवल ₹500 ट्रांसफर किए हैं। इससे महिलाओं में नाराज़गी और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। विपक्ष ने सरकार पर चुनाव से पहले किए गए ₹2100 देने के वादे से पीछे हटने का आरोप भी लगाया है। सरकार की ओर से दी गई सफाई में कहा गया है कि यह कटौती किसी गड़बड़ी का परिणाम नहीं है, बल्कि समन्वयित लाभ प्रणाली का हिस्सा है। यानी अगर लाभार्थी महिला को किसी और योजना से पहले से ₹1000 मिल रहे हैं, तो ‘लाडकी बहिण योजना’ से सिर्फ ₹500 मिलेंगे, जिससे कुल राशि ₹1500 ही रहेगी।

हालांकि इस स्पष्टीकरण के बाद भी बहुत-सी महिलाएं भ्रम में हैं। उन्हें डर है कि कहीं यह कटौती स्थायी न हो जाए। यह ज़रूरी है कि राज्य सरकार पारदर्शिता बनाए रखते हुए लाभार्थियों को नियमित जानकारी दे, ताकि भरोसा कायम रह सके।

मध्यप्रदेश की ‘लाड़ली बहना योजना’ बनी महिलाओं का भरोसेमंद सहारा

वहीं दूसरी ओर, मध्यप्रदेश की ‘लाड़ली बहना योजना’ अपने उद्देश्य में सफल होती नज़र आ रही है। 5 मार्च 2023 को शुरू हुई इस योजना ने राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से मज़बूत करने में बड़ी भूमिका निभाई है। अब तक सरकार 24 किस्तों में ₹35,000 करोड़ से अधिक की राशि सीधे महिलाओं के खातों में भेज चुकी है। हर महीने लगभग 1.27 करोड़ महिलाओं को ₹1250 मिलते हैं, और अब सभी की निगाहें 15 जून को आने वाली 25वीं किस्त पर टिकी हैं।

योजना की पात्रता भी बहुत सरल है-21 से 60 वर्ष की वह महिला जो मध्यप्रदेश की निवासी हो, अविवाहित, विधवा, तलाकशुदा या परित्यक्त हो सकती है, और जिसकी सालाना आय ₹2.5 लाख से कम हो। यदि महिला के पास पांच एकड़ से ज़्यादा ज़मीन, चार पहिया वाहन (ट्रैक्टर को छोड़कर), या सरकारी नौकरी है तो वह योजना से बाहर हो जाएगी।

पिछली किस्त यानी मई 2025 में, सरकार ने ₹1,551.89 करोड़ की राशि 1.27 करोड़ महिलाओं के खातों में ट्रांसफर की थी। आवेदन प्रक्रिया भी बेहद आसान रखी गई है—ग्राम पंचायत या वार्ड कार्यालय जाकर दस्तावेज़ जमा करने होते हैं, और आवेदन की स्थिति को पोर्टल https://cmladlibahna.mp.gov.in/ पर ऑनलाइन देखा जा सकता है।

सामाजिक और आर्थिक बदलाव की झलक

इन दोनों योजनाओं ने लाखों महिलाओं के जीवन में बदलाव लाया है। जहां एक ओर इनसे महिलाएं अपने बच्चों की पढ़ाई, घर का राशन, और स्वास्थ्य पर खर्च कर पा रही हैं, वहीं दूसरी ओर आत्मनिर्भरता का भाव भी मज़बूत हुआ है। इन योजनाओं ने महिलाओं को घर की सीमाओं से बाहर निकल कर स्वयं निर्णय लेने का साहस दिया है।

मध्यप्रदेश में हर महीने ₹1500 करोड़ से अधिक की राशि महिलाओं को दी जा रही है, जबकि महाराष्ट्र सरकार ने अनुमानतः एक करोड़ महिलाओं को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। हालांकि एक राज्य में योजना पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरा राज्य महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण बनता जा रहा है।

 

भविष्य की घोषणा: बढ़ सकती है सहायता राशि

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में यह घोषणा की है कि आने वाले वर्षों में ‘लाड़ली बहना योजना’ की राशि को धीरे-धीरे बढ़ाकर ₹3000 प्रति माह तक किया जाएगा। इसका उद्देश्य महिलाओं की बचत को प्रोत्साहित करना और उन्हें स्वरोजगार की दिशा में अग्रसर करना है। यदि यह वादा पूरा होता है, तो यह देश में महिलाओं के लिए सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक बन सकती है।

सरकारी योजनाओं की सफलता का सबसे बड़ा आधार विश्वास होता है। यदि सरकारें पारदर्शी तरीके से लाभ दें, नियमों की स्पष्ट जानकारी साझा करें और समय पर किस्तों का भुगतान करें, तो ये योजनाएं महिलाओं की ज़िंदगी बदल सकती हैं। मध्यप्रदेश की ‘लाड़ली बहना योजना’ इसका उदाहरण है, जबकि महाराष्ट्र को अपनी योजना की पारदर्शिता और भरोसे को मज़बूत करने की ज़रूरत है।

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